स्वीकृत मानदण्डों की दृष्टि से पूरी तरह तर्कसंगत और प्रासंगिक नहीं होने के बावजूद ट-टा प्रोफेसर हिन्दी उपन्यासों में विशिष्ट दर्जा रखता है। दरअसल दास्ताने अलिफ लैला की शैली में यह ऐसी उत्तर-आधुनिक कथा है, जिसके अन्दर कई-कई कथा निर्वाध गतिमान है, सीमित कलेवर में होने के बाद भी कहानी पूरे उपन्यास का रसास्वादन कराती है। ट-टा प्रोफेसर एक पात्र की ही नहीं, एक कहानी की भी कहानी है। ऐसी कहानी जिसका आदि और अन्त, लेखक के आदि और अन्त के साथ होता है। प्रेम और काम जैसे अति सम्वेदनशील विषयों को केन्द्र में रखकर लिया गया यह उपन्यास मजाक को भी त्रासदी में तब्दील कर देता है। कहीं 'कॉमिक' कामुकता में परिवर्तित होता नजर आता है, लेकिन जीवन और मर्म की धड़कन निरन्तर सुनाई पड़ती रहती है। सत्य, कल्पना और अनुभूति की प्रामाणिकता और भाषा के सहज प्रवाह के चलते कथा पाठक को आद्यान्त बाँधे रखती है। अपने विलक्षण लेखन के नाते जाने-जानेवाले मनोहर श्याम जोशी ने एक सामान्य प्रोफेसर को केन्द्र में रखकर रचित इस कृति में अपने कथा-कौशल का अद्भुत प्रमाण दिया है। उपन्यास के मुखर स्वारानुसार काम मनुष्य को 'कामुक' से अधिक 'कॉमिक' बनाता है और अस्तित्व को एक कॉमिक-कामुक और कॉस्मिक त्रासदी बना देता है।
-
Categories
- Aaj Urdu Magazine
- Anthology
- Biographies, Diaries & True Accounts
- Business, Economics and Investing
- Children's & Young Adult
- Classics
- Crafts, Home & Lifestyle
- Crime, Thriller & Mystery
- Culinary
- Deewan
- Epics
- Fantasy, Horror & Science Fiction
- Film, Theater & Drama
- Historical Fiction
- History
- Humorous
- Journalism
- Kulliyat
- Language, Linguistics & Writing
- Legends & Mythology
- Letters
- Nature, Wildlife & Environment
- Novel
- Poetry
- Politics
- Religion
- Research & Criticism
- Romance
- Sciences, Technology & Medicine
- Self Help & Inspiration
- Short Stories
- Translation
- Travel
- Merchandise
- Languages
- Blogs