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Taki Sanad Rahe

Taki Sanad Rahe

by Abdul Bismillah

Regular price Rs 630.00
Regular price Rs 700.00 Sale price Rs 630.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 400

Binding: Hardcover

अब्दुल बिस्मिल्लाह उस जीवन-यथार्थ के कहानीकार हैं, जहाँ छोटी-से-छोटी इच्छा पूरी करने के लिए अथक संघर्ष करना पड़ता है ! इस जीवन को व्यापक सामाजिकता के कुलीन विवरणों के बीच पहचानना एक दृष्टिसंपन्न रचनाकार का ही काम है ! हाशिए पर चल रही सक्रियताओं को रचनाशीलता के केंद्र में प्रतिष्ठित करते हुए अब्दुल बिस्मिल्लाह ने अपनी कहानियों को आकार दिया है ! ताकि सनद रहे अब्दुल बिस्मिल्लाह के चार कहानी-संग्रहों, 'रैन बसेरा', 'कितने कितने सवाल', 'टूटा हुआ पंख' और 'जीनिय के फूल' में शामिल रचनाओं का समग्र है ! इनमे से बहुत सारी कहानियाँ पाठकों व् आलोचकों के बीच चर्चित हो चुकी हैं ! यदि हम मध्य वर्ग और निम्न वर्ग के जीवन का समकालीन यथार्थ पहचानना चाहते हैं तो इन कहानियों में कदम कदम पर ठहर कर हमें गौर से देखना होगा ! लेखक ने सामाजिक विकास की आलोचना इस तरह की है कि स्थितियों को जीने वाले चरित्र पाठक की संवेदना का हिस्सा बन जाते हैं ! अलग से यह घोषित करने की जरूरत नहीं कि लेखक की प्रतिबद्धता क्या है और उसके सरोकार क्या हैं ! अब्दुल बिस्मिल्लाह की भाषा पारदर्शी है ! सहज और अर्थ की त्वरा से भरी ! इस सहजता की अन्विति कई बार ऐसे होती है, 'नाले के इस पार सड़क थी और उस पार जंगल ! उन दिनों जंगल का रंग इस कदर हरा हो गया था की वह हमेशा काले बादलों में डूबा हुआ नजर आता था ! वहां जो एक छोटी-सी, ऊँची-नुकीली पहाड़ी थी वह घास के ताजिए की तरह लगती थी ! उस जंगल में शाजा, सलई, धवा, हर्रा, पलाश, कोसुम और जामुन के पेड़ कसरत से भरे हुए थे ! उन दिनों कुसुम के फल तो झाड़कर खतम हो गए थे, पर जामुन अभी बचे हुए थे ! हवा चलती तो काले-काले जामुन भद-भद नीचे गिरते और ऐसा लगता मानो प्यार के रस में डूबी हुई आँखें टपकी पड़ रही हों !' वस्तुतः इन कहानियों को समग्रता में पढना परिचित परिवेश में भी अप्रत्याशित यथार्थ से साक्षात्कार करने सरीखा है !
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