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Tantya

Tantya

by Baba Bhand

Regular price Rs 175.50
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Binding

Language: Hindi

Binding: Paperback

टंट्या भील म/यभारत में उन्नीसवीं सदी के महान आदिवासी जननायक के रूप में जाना जाता है । बचपन तथा युवावस्था में टंट्या को असहनीय यातनाओं से गुजरना पड़ा । टंट्या की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे, उसके परिवार और समाज को बदहाली, अन्याय और शोषण का शिकार क्यों होना पड़ा । धीरे–धीरे वह सोचने लगा, इसी सोच ने उसे अन्याय और शोषण के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा दी । उसने सामन्ती व्यवस्था तथा उस व्यवस्था की रक्षा करनेवाली ब्रिटिश राजसत्ता को गम्भीर चुनौती दी । दलितों–शोषितों और आम आदमी ख़ासकर सर्वहारा किसानों–मजदूरों का पक्ष लेकर उन्हें इस महासंग्राम में शामिल करने के लिए टंट्या ने अपनी जान की बाजी लगा दी । प्रचलित नीतिमूल्यों को नज़रअन्दाज़ कर गहरे मानवीय मूल्यों पर उसने अपने संघर्ष की नींव रखी । सरकार की नज़र में वह डकैतों का सम्राट था, लेकिन लोकमानस में वह ईश्वरीय अंश धारण करनेवाला जननायक माना गया । वह आज भी लोकमानस में मिथक के रूप में अमर है । टंट्या जैसे अलौकिक जननायक पर उपन्यास लिखने का प्रयास कठिन कर्म है । टंट्या की जीवनगाथा मिथकों और लोककथाओं में इस क’दर घुल–मिल गई है कि रहस्य तथा चमत्कार को यथार्थ से अलग करना असम्भव– सा था, लेकिन उपन्यासकार ने अपने प्रामाणिक शोध के जरिए और रचनात्मकता के सहारे जीवन–चरित्र के यथार्थ को उजागर करने का प्रयास किया है । यह ग़ौरतलब है कि लोकप्रिय या सरलीकृत वर्णन की फिसलन इस उपन्यास में नहीं दिखती । अनावश्यक भावुकता से बचाव, चिन्तनशीलता, संयत भाषिक अभिव्यक्ति, गहन मानवीय अन्तर्दृष्टि, इतिहास और समकालीनता के बीच जटिल अन्तर्संबध का अहसास आदि कई विशेषताओं के कारण यह उपन्यास सर्जन के सहारे इतिहास की पुनर्रचना का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ बन गया है । उपन्यासों के भारतीय परिदृश्य में बाबा भांड की यह कृति निस्संदेह महत्त्वपूर्ण है तथा प्रो– निशिकान्त ठकार जैसे अनुवादक के हाथों से हुआ इस कृति का अनुवाद पाठकों के लिए मूल्यवान उपलब्धि है ।
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