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Trishanku
Trishanku
by Mannu Bhandari
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Number Of Pages: 160
Binding: Paperback
साठोत्तरी महिला कथाकारों में मन्नू भंडारी का विशिष्ट स्थान है। मन्नू भंडारी की कथा-यात्रा लगभग चार दशकों में फैली हुई है। सन् 60 के आसपास ‘नई कहानी’ आंदोलन से नौवें दशक तक वे लगातार कहानियाँ लिखती रही हैं। हिंदी कहानी के विविध पड़ाव और आंदोलन उनकी रचनाशीलता को अवरुद्ध नहीं कर पाए। मन्नूजी की कहानियाँ सामाजिक संदर्भों में स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को व्याख्यायित ही नहीं करतीं बल्कि मध्यवर्गीय जीवन यथार्थ के विविध पक्षों को शिद्दत से व्यक्त करती हैं! एक निश्चित कालखंड की कहानियों का प्रतिनिधित्व करती ‘त्रिशंकु’ की इन कहानियों के पात्र जीवन के सिमटते-फैलते दायरों में सम्बन्धों के नकार और नए सिरे से अपने-अपने व्यक्तित्वों को स्वीकारने की ऊहापोह में जीते हैं। इन कहानियों में स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के बनने-बिगड़ने की तफसीलें ही नहीं, मध्यवर्गीय समाज के मनोलोक की जटिलताएँ भी हैं। स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के विविध पक्षों के साथ इस संग्रह की कहानियों में समयसापेक्ष पारदर्शिता है। सम्बन्धों को ढोते रहने की थकन और प्रेम की प्रवहमान ऊष्मा है। ‘त्रिशंकु’, ‘आते-जाते यायावर’ और ‘दरार भरने की दरार’ जैसी चर्चित कहानियाँ नारी-पुरुष सम्बन्धों को कई कोणों से परिभाषित करती हैं। सहज कथा-विन्यास और शिल्प के संयोजन की दृष्टि से ‘त्रिशंकु’ की कहानियों का हिंदी कथा साहित्य में स्थायी महत्त्व है।
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