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Varshavan Ki Roopkatha

Varshavan Ki Roopkatha

by Vikas Kumar Jha

Regular price Rs 199.00
Regular price Rs 250.00 Sale price Rs 199.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 288

Binding: Paperback

'सुन्दरता ही संसार को बचायेगी'-यह टिपण्णी हर समय, हर समाज, हर देश और हरेक भाषा के वास्ते महान साहित्यकार दोस्तोयेव्स्की की है ! सुन्दरता का आशय मात्र किसी महारूपा स्त्री या महारूपा प्रकृति से ही नहीं है ! सुन्दरता का मतलब ठेठ 'अगुम्बेपन' से भी है ! प्रेम का चिरंतन आनंद, उसकी अटूट शक्ति और विह्वल करूणा भी विशुद्ध अगुम्बेपन में ही है ! अंग्रेजी के उदभट लेखक आर. के. नारायण लिखित 'मालगुडी डेज' पर सीरियल बनाने का निर्णय लेकर इस काल्पनिक ग्राम को साकार करने का स्वप्न सँजोए शंकर नाग जब घुमते-भटकते अगुम्बे पँहुचे, तो उन्हें छूटते हुए लगा कि यही तो है नारायण का अदभुत मालगुडी ! घने जंगल, पहाड़ और बादलों की अहर्निश मधुर युगलबंदी के बीच स्थित मलनाड अंचल के इस गाँव के सरल-सहज लोगों से मिलकर शंकर नाग को लगा कि शूटिंग के लिए यहाँ उन्हें अलग से कोई सेट लगाने की भी जरूरत नहीं ! पूरा गाँव ही इस सीरियल का कुदरती सेट है ! शूटिंग के दौरान आर. के. नारायण भी जब एक बार अगुम्बे आए, तो बिस्मित हुए बिना न रह सके ! बहरहाल, 'मालगुडी डेज' सीरियल के बने वर्षो बीत चुके हैं पर अगुम्बे अभी भी मालगुडी को अपनी आत्मा के आलोक में बड़े दुलार से बसाए हुए है ! और यह यों ही नहीं है ! बाजारवाद के इस भीषण पागल समय में यह गाँव मनुष्यता का एक ऐसा दुर्लभ हरित मंडप है, जहाँ के विनोदप्रिय निष्कलुष लोग समस्त कामनाओं और आतप को हवा में फूंककर उड़ाते हुए मौन उल्लास की सुरभि में निरंतर मधुमान रहते हैं ! जीवनानंद के पराग से पटी पड़ी है अगुम्बे की धरती ! अगुम्बे की ख्याति दुनिया में 'किंग कोबरा' के एकमात्र मुख्यालय के रूप में भी है ! आलोड़ित कर्नाटक के इस गाँव की जैसी धारासार तन्मय गाथा एक हिंदी भाषी लेखक द्वारा लिखी गई है, वह पृष्ठ-दर-पृष्ठ चकित करती हुई साधारण मनुष्य के जीते-जागते स्वप्नजगत में अदभुत रमण कराती है !
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