Author: Priyadarshan
Languages: hindi
Number Of Pages: 134
Binding: Paperback
Package Dimensions: 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
Release Date: 01-01-2020
Details: Product Description एक रचनाकार की पहचान इससे भी होती है कि वह अपने समकालीनों के बीच होते हुए उनसे कितना अलग है और अपने समय को दर्ज करने और उसके विकल्पों को देखने की उसकी प्रविधियाँ किस हद तक उसकी ‘अपनी’ हैं। इस अर्थ में br>—प्रियदर्शन का नया संग्रह ‘यह जो काया की माया है’ कविता के आम प्रचलनों से बहुत हटकर है जिसमें यथार्थ के अनुभव और उसकी अभिव्यक्ति के उपकरण भी कुछ अलग ढंग के हैं। इस संग्रह में ‘हमें br> जानवरों से क्षमा माँगनी चाहिए’, ‘काया का वर्णन’, ‘सोचने के कई तरीक़े होते हैं’, ‘धर्म की कविता’, ‘अधर्म की कविता’, ‘करुणा की कविता’, ‘ताक़तवर की कविता’, ‘कमज़ोर की कविता’ जैसी कई कविताएँ संकलित हैं जिनकी संरचना में भी ऐसी ही भिन्नता दिखाई देती है: उनमें कहीं अनुचिन्तनात्मक प्रवृत्ति मिलती है तो कहीं सूक्तियों जैसा चुटीलापन और कहीं अवधारणाओं और परिभाषाओं जैसी संक्षिप्ति। br>—प्रियदर्शन अपने वक़्त की शिनाख़्त कुछ ऐसी वस्तुओं, चिह्नों, बिम्बों और अवधारणाओं से करते हैं जो आमफ़हम होने के बावजूद आमतौर पर अनदेखे रहते हैं और उन्हें कविता का विषय लगभग नहीं माना जाता। इस संग्रह की कुछ कविताएँ प्रत्यक्ष राजनीतिक व्यंग्य हैं और उनके विषय तात्कालिक और तकाजों से भरे हुए हैं, लेकिन अगर कविता की सत्ता-विमर्श से अलग एक ‘उच्चतर’ राजनीति होती है तो इस संचयन की ज़्यादातर कविताएँ राजनीतिक कही जाएँगी: ‘देशभक्ति एक ख़तरनाक शब्द है/किसी तलवार की तरह/जिससे तुम्हारी गर्दन बस यह पूछने के लिए/उड़ाई जा सकती है कि आज की तारीख़ में दाल की क़ीमत क्या है?’ —मंगलेश डबराल. About the Author प्रियदर्शन प्रियदर्शन का जन्म 24 जून, 1968 को राँची में हुआ। आपने अंग्रेज़ी में राँची विश्वविद्यालय से एम.ए. की पढ़ाई करने के बाद उसी शहर से पत्रकारिता की शुरुआत की। आपकी प्रकाशित पुस्तकें हैं: ज़िन्दगी लाइव (उपन्यास); बारिश, धुआँ और दोस्त, उसके हिस्से का जादू (कहानी-संग्रह); नष्ट कुछ भी नहीं होता (कविता-संग्रह) सहित नौ किताबें प्रकाशित। कविता-संग्रह मराठी में और उपन्यास अंग्रेज़ी में अनूदित। सलमान रुश्दी और अरुंधति रॉय की कृतियों सहित सात किताबों का अनुवाद और तीन किताबों का सम्पादन। विविध राजनैतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर तीन दशक से नियमित विविधतापूर्ण लेखन और हिन्दी की सभी महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन। सम्मान: कहानी के लिए पहला 'स्पन्दन सम्मान'।.